1/7/06

यार मेरा मुझे भुल गया ?


(यह कविता, मैंने मेरे उस दोस्त के लिए लिखी थी, जिसका कई दिनो से कोई पत्र नही आया था, पर इस कविता ने अपना कमाल दिखाया और उसने फिर से पत्र लिखा।)

यार मेरा मुझे भुल गया ?

यार मेरा मुझे भुल गया
या याद उसे मैं हुँ अब भी,
कल तक था यारो में शामिल
क्या मैं शामिल हूँ अब भी।

मुद्ददत हुई उसने मुझको
इक बार भी खत् नही भेजा,
मेरा पता वो भुल गया
या याद उसे ये है अब भी।

मेरा यार मुझसे रूठ गया
या रूठा है रब तू मुझसे,
राह तकते मैं थक तो गया पर
उम्मीद इस दिल में है अब भी।

प्रवीण परिहार

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