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इशक होता नही सभी के लिए
इशक होता नही सभी के लिए,
ये बना है किसी-किसी के लिए,
कोई महबूब लाजमी नही आशिकी के लिए,
महबूब का खयाल ही काफी है शायरी के लिए,
उस खयाल को किसी रूह या सुरत की जरूरत नही होती,
हम आँखें मूंद लेते है महबूब के दिदार के लिए।प्रवीण परिहार
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