22/11/07

आईने वाली लडकी


सुनो
आईने के सामने जाकर
उस आईने वाली लडकी से
पुछना कि वो मुझे
क्यों इतना प्यार करती है ?

इतना प्यार कि
मेरे दिल में भी नही समाता
कई बार भरकर बह जाता है
मेरी ही आँखो के किनारे से
पानी की तरह ।

पुछना उससे कि क्यो
उसने अपनी तन्हाईयो को
मेरी आहटो से भंग किया
और क्यों अपने सपनो को
मेरे रंग से यूँ रंग दिया ।

पुछना उससे कि क्यों
उसने अपने ख्यालों में
मुझे इसकदर सजाकर
मेरी इस जीवन को
इतना मान दिया ।

ये सब जरूर पुछना उस
आईने वाली लडकी से ।

जरुर पुछोगी ना ।

प्रवीण परिहार

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

bahut hi saral aur sahaz prem me rangi manuhari rachna lagi aapki.